Skip to main content

Posts

Showing posts from November, 2018

आधी-आधी राहें अपनी, पूरी मंजिल पाना है।

अभी करवाचौथ की पूजा के बाद हम उज्जैनगामी होने के लिए ट्रेन में सवार होकर बैठे ही थे कि व्हाट्सएप पर श्रीमती रिंकू शर्मा जी का एक मर्मस्पर्शी काव्यात्मक संदेश मिला । आप भी देखिये.... आधी-आधी राहें अपनी, पूरी मंजिल पाना है। आधी दूरी तय की हमनें, आधा उन्हें ही आना है। आधी रातें,आधी बातें, आधे सब अफ़साने है। अपनी बातें बोल चुके हम, आधी उन्हें बताना है। आधी वारिश,आधी धूप ये, आधे आँगन में खिली हुई। आधी हवा के आधे झोंकों से ये, आधी खिड़की खुली हुई । आधे-आधे ख्वाब जोड़कर, पूरा उन्हें सँजोना है। आधे ख़ुद ही मान गए हम, आधा उन्हें मनाना है। वहीं कहीं चुपके से आकर, साथ में उनकी खुशबू लाकर। आधे चाँद की आधी किरणें, आधे बिस्तर पसर गई हैं। इंतज़ार है उन किरणों का , जाकर दूर जो छिटक गई । लेकर आधी उन किरणों को उन्हें हमे मानना है आधी दूर पहुँच गए वो, आधा और भी आना है। आधी आंखें मुदीं हुई है, आधी अब भी खुली हुई हैं। खुली हुई उन आँखों से, इंद्रधनुष बनाना है । आधी दूरी तय की हमनें, आधा उन्हें ही आना है। ......... संदेश में समाहित संदेश समझा तो प्रतिउत्तर देने के लिए ...