Skip to main content

About Me

ग्रामीण परिवेश में पल कर बड़े हुए और स्नातक शिक्षा के लिए धारानगरी का द्वार खटखटाया ,राजा भोज की इस पावन नगरी के सानिध्य में गणित के सूत्रों को हल हल करते करते स्नातकोत्तर उपाधि के बाद महाँकाल की नगरी में कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग से
दो चार करते हुए वर्दी धारण कर ली तब से हम इसका मान बढ़ाने का हर प्रयास कर रहे है औऱ ये भी हमारी शान बानी हुई है । 
पूज्य पिताजी की हिंदी साहित्य की साधन गुणसूत्रों के माध्यम से हमारे शोणित का भी हिस्सा बन गयी है । समाज के सकारात्मक पक्ष को उजागर करने एवं समाज कल्याण की दृष्टि से लेखनी को शिरोधार्य किया है । हर विषय को देखने के कई दृष्टिकोण होते है। अपने दृष्टिकोण को आपके सम्मुख रखने के उद्देश्य से ब्लॉग को '"मेरे विचार से" से नाम दिया है । आशा है विचारो के आदान-प्रदान की इस प्रकिया में आपका अनवरत सकारात्मक एवं सक्रिय सहयोग मिलता रहेगा । असहमति के स्वर भी सहर्ष स्वीकार्य है ।शत शत अभिनंदन ।
- योगेश्वर शर्मा 

Popular posts from this blog

क्या कोई मुझे उस मिट्टी का पता बतला सकता है जिससे भगवान् ने बहन को बनाया ।

क्या कोई मुझे उस मिट्टी का पता बतला सकता है जिससे भगवान् ने बहन को बनाया ।उस मिट्टी में ऐसा क्या है जो एक ही जनक-जननी से सृजित होने के बावजूद उसे हम भाई लोगो से  उत्कृष्ट बना देता है।उसे अपने भाइयों से श्रेष्ठ कहलाने की आकांक्षा या अभिलाषा नहीं होती है वरन् उसके कर्म ही उसे अग्रगन्य बना देते है। बहन , ऐसा क्यों होता है ,मम्मी-पापा रहते हमारे पास में है , उनका दिल धड़कता हमारे यहाँ है किंतु धड़कन तेरे यहाँ सुनाई देती है। अनमने हम लोग होते है पर उसका सबसे पहले एहसास तुझे होता है और अलभोर में तेरा फ़ोन इसकी पुष्टि कर देता है।क्यों पापा बीमारी में हम लोगो के पास होने के बावजूद तुझे ही याद करते है। तू ऐसा कैसे कर लेती है,कि हम भाईयो की या मम्मी-पापा की बीमारी का सुन कर अपना पेट,पीठ,कमर दर्द या बुखार सब भूल कर दौड़ी चली आती है या हर घंटे खैरोखबर लेती रहती है। तू इतने रूप कैसे धारण कर लेती है ,कि हम भाईयो में से किसी के भी डिप्रेस होने पर सबसे बड़ी मोटिवेटर बन जाती है,बीमार होने पर डॉक्टर का एप्रिन पहन लेती है और किसी से झगड़ा होने पर रुस्तमे हिन्द बन जाती है।तू ,हमेशा हम लोगो का भल...

नत्थू लाल की टेंशन

कल नत्थूलाल जी मिले, हाथ में पेपर पकड़े बड़े उदास, गमगीन से दिख रहे थे । हमने पूछा...अरे भाई आज आपके गुलाब से खिले चेहरे पर उदासी का पाला कैसे पड़ गया ? नत्थूलाल जी बोले...आपने शायद पेपर नहीं पढ़ा, हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत का नंबर बहुत पीछे बतलाया गया है । हमने कहा ...तो ? नत्थूलालजी आश्यर्यचकित होकर बोले...आप कैसी बात करते हो शर्माजी ,ये खबर पढ़ कर 2 दिन से मैं निराशा और क्रोध के भँवर में चक्कर लगा रहा हूँ ओऱ आपको कोई फर्क ही नही पड़ रहा है। आप देख नहीं रहे,आजकल हम भारतीय कितने खुश दिखते है । आप चाहो तो कहीं भी,कभी भी देख लो ।फेसबुक,व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि आदि,ख़ुश लोगों के पोस्टो से पटे पड़े है । कोई भी पोस्ट देख लो ,हर जगह आदमी खुश ही नज़र आता है,मंदिर में,मस्ज़िद में,कार में,बस में,ट्रेन में,प्लेन में,साईकल पर,घर में,टॉयलेट में, दुकान में,होटल में,पब में,बिस्तर पर,जमीन पर,आसमान में,नदी में,नाले में ,पेड़ पर,फूल पत्ती के साथ,जीन्स में,धोती में,घूँघट में। अरे दिन तो छोड़ो रात में 1 बजे हो,तीन हो या पांच बजे हो,जब देखो तब आदमी हमेशा खुश दिखते हुए फ़ोटो चेपता है ।और तो और आदमी इतन...

मेरे प्यारे सैनिक भाइयो की शहादत को शत शत नमन ।

इस कायराना हरकत को अंजाम देने वाले नापाक 'पाक' को खुला चैलेंज --- वीर सैनिको की हत्या कर ,मूषक (चूहा)तू हमे ललकार रहा, अरे वज्र मूढ़ अनजाने में तू ,अपना काल पुकार रहा । रुंड मुंड मय मेदिनी कर दे,नभ को अराति शीशो(दुश्मन सिरो) से पुर दे, दनुज दमन (राक्षसों का नाश) औऱ दर्प हरण कर (घमंड चूर कर)अरि चक्षु (शत्रु के नेत्रों)को शूलों से भर दे । ऐसी प्रतापी नरसिंहो की धरा को ,तू धूर्त दुत्कार रहा, अरे लम्पट,जाने अनजाने में तू, अपनी कब्र सँवार रहा । तेरी गीदड़ घुड़कियों से ,भयभीत धरा ये नही होगी, अलबत्ता इसके पौरुष से ,तेरी मिट्टी पलित होगी । शीश पर शीश चढ़ा देंगे पर ,एक इंच भी धरा न देंगे , मांद में घुसकर तेरी ग्रीवा (गर्दन)को मिट्टी में मिला देंगे । अरे निरीह छोटे तारे तू ,भास्कर (सूर्य)को ललकार रहा, अरे अशिष्ट जाने अनजाने तू अपना काल पुकार रहा । जब गरजेगी रण में तोपे, तेरा मान मर्दन होगा, तेरे घर के कण कण में ,दारुन कातर क्रंदन (रोना)होगा । गर्दभ के कंधे चढ़ तू सिंहराज को ललकार रहा, अरे प्रवंचक,जाने अनजाने तू अपना काल पुकार रहा । रणभूमि के ...