जीवन मे इमरजेंसी सेफ्टी वाल्व पर दृढ़ता से भरोसा रखना नितांत आवश्यक है ...
विगत दिनों भोपाल में एक ट्रेनिंग के दौरान उत्तरप्रदेश के एक अनुभवी ,विद्वान एवं व्यवसायिक रूप से दक्ष पुलिस अधिकारी से साक्षात्कार का सुयोग मिला , इस दौरान प्रशिक्षण के दूसरे दिन अचानक से उन्हें ख़बर मिली कि उनके एक प्रिय कनिष्ठ समकक्ष पुलिस अधिकारी ने दुर्भाग्यपूर्ण रूप से स्वयं को समयपूर्व काल के हवाले कर दिया है ,उस पूरे दिन वो स्वाभाविक रूप से उद्विग्न रहे औऱ रात में उन्होंने अपनी संवेदनाओ को एक अत्यंत मार्मिक पोस्ट के माध्यम से अभिव्यक्त किया । इस वाकये को गुजरे लगभग 2 सप्ताह ही हुए थे,कि एक अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति के द्वारा अप्राकृतिक रूप से जीवन त्याग कर मृत्युआलिंगन का समाचार पढ़ने को मिला । समाज के दो लब्धप्रतिष्ठित व्यक्तियों का यू अंतिम रास्ते का चयन करना व्यथित तो करता ही है सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह भी लगाता है ।
मेरे उन मित्र की पोस्ट के कुछ अंश शेयर कर रहा हूँ .... सर्वप्रथम उन्होंने अपने मित्र के चरित्र के संबंध में लिखा है .....(संबंधित अधिकारी का नाम)..........का नाम लेते ही ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास से लबरेज़ ऐसा चेहरा जेहन में आता है जिसमें विनम्रता ,दृढ़ता और उत्कृष्ट व्यावसायिक दक्षता का दुर्लभ संगम था ।
अंत मे उन्होंने लिखा ..........नहीं जानता कि वो कौन सा अभागा क्षण था जिसने एक सकारात्मक व्यक्ति की सोच को इतना नकारात्मक बना दिया। उस जैसे व्यक्ति को इस सीमा तक व्यथित कर देने वाले कारण ने जरूर उनकी सम्वेदनाओं को चीर डाला होगा।
मन शोक में डूबा है, चित्त उद्विग्न है और एक अज़ीब खालीपन महसूस हो रहा है। मैं उन्हें काम से कॉल करता था। मन कचोट के रह जा रहा है कि काश उसी कलंकित क्षण मैंने उनको कॉल कर दिया होता तो शायद...........
मित्रो , प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे न्यूनाधिक रूप से ऐसा अभागा क्षण आता ही है ,हाँ उसकी तीव्रता औऱ कार्य-कारण में भिन्नता हो सकती है,मसलन किसी को कोई परीक्षा परिणाम गहन चोट दे सकता है तो किसी के लिए सिनेमा देखने के लिए पैसे न मिलना जीवन मरण का प्रश्न बन जाता है । ऐसे अभागे क्षण में अविवाहित के लिए माता-पिता औऱ विवाहित की स्थिति में जीवन साथी नकारात्मक ऊर्जा निकास हेतु 'सेफ्टी वॉल्व' के रूप में काम कर सकते है परंतु जब इन ही लोगो की ओर से ही व्यक्ति अपमानित,प्रताड़ित या उपेक्षित महसूस करने लगता है तो सामाजिक प्रतिष्ठा की मर्यादा के बीच व्यक्ति निराशा, हताशा के सागर से निकलने के चक्कर मे मौत के महासागर में जा गिरता है । तो क्या एक "सैफ्टी वाल्व " के फेल हो जाने पर कोई दूसरा रास्ता नही बचता है ,क्यो नही ? इमेरजेंसी सैफ्टी वाल्व के रूप में परम पिता परमेश्वर हमेशा विद्यमान रहते है परंतु
उसकी प्रत्यक्ष उपस्थिति के अभाव में उसकी सत्ता के प्रति हमेशा संशय बना रहता है । यद्यपि उसकी अटल सत्ता पर असीम विश्वास से जरूर रास्ता निकालता है तो यक़ीन रखना ही चाहिए । साथ ही जीवन को बचाए रखने के लिए ज़रूरी है कि परिवार में हर स्तर पर संवाद बनाये रखा जावे,अपने परिजन के दुख,तनाव,चिंता,उद्विग्नता के समय उन्हें विश्वास दिलवाये ,कि आप हर कदम पर उनके साथ है । शायद आपने जब कोई शब्द बोला हो वो उनकी राह बदलने वाला निर्णायक क्षण साबित हो जाये ।
विगत दिनों भोपाल में एक ट्रेनिंग के दौरान उत्तरप्रदेश के एक अनुभवी ,विद्वान एवं व्यवसायिक रूप से दक्ष पुलिस अधिकारी से साक्षात्कार का सुयोग मिला , इस दौरान प्रशिक्षण के दूसरे दिन अचानक से उन्हें ख़बर मिली कि उनके एक प्रिय कनिष्ठ समकक्ष पुलिस अधिकारी ने दुर्भाग्यपूर्ण रूप से स्वयं को समयपूर्व काल के हवाले कर दिया है ,उस पूरे दिन वो स्वाभाविक रूप से उद्विग्न रहे औऱ रात में उन्होंने अपनी संवेदनाओ को एक अत्यंत मार्मिक पोस्ट के माध्यम से अभिव्यक्त किया । इस वाकये को गुजरे लगभग 2 सप्ताह ही हुए थे,कि एक अन्य प्रसिद्ध व्यक्ति के द्वारा अप्राकृतिक रूप से जीवन त्याग कर मृत्युआलिंगन का समाचार पढ़ने को मिला । समाज के दो लब्धप्रतिष्ठित व्यक्तियों का यू अंतिम रास्ते का चयन करना व्यथित तो करता ही है सामाजिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह भी लगाता है ।
मेरे उन मित्र की पोस्ट के कुछ अंश शेयर कर रहा हूँ .... सर्वप्रथम उन्होंने अपने मित्र के चरित्र के संबंध में लिखा है .....(संबंधित अधिकारी का नाम)..........का नाम लेते ही ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास से लबरेज़ ऐसा चेहरा जेहन में आता है जिसमें विनम्रता ,दृढ़ता और उत्कृष्ट व्यावसायिक दक्षता का दुर्लभ संगम था ।
अंत मे उन्होंने लिखा ..........नहीं जानता कि वो कौन सा अभागा क्षण था जिसने एक सकारात्मक व्यक्ति की सोच को इतना नकारात्मक बना दिया। उस जैसे व्यक्ति को इस सीमा तक व्यथित कर देने वाले कारण ने जरूर उनकी सम्वेदनाओं को चीर डाला होगा।
मन शोक में डूबा है, चित्त उद्विग्न है और एक अज़ीब खालीपन महसूस हो रहा है। मैं उन्हें काम से कॉल करता था। मन कचोट के रह जा रहा है कि काश उसी कलंकित क्षण मैंने उनको कॉल कर दिया होता तो शायद...........
मित्रो , प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे न्यूनाधिक रूप से ऐसा अभागा क्षण आता ही है ,हाँ उसकी तीव्रता औऱ कार्य-कारण में भिन्नता हो सकती है,मसलन किसी को कोई परीक्षा परिणाम गहन चोट दे सकता है तो किसी के लिए सिनेमा देखने के लिए पैसे न मिलना जीवन मरण का प्रश्न बन जाता है । ऐसे अभागे क्षण में अविवाहित के लिए माता-पिता औऱ विवाहित की स्थिति में जीवन साथी नकारात्मक ऊर्जा निकास हेतु 'सेफ्टी वॉल्व' के रूप में काम कर सकते है परंतु जब इन ही लोगो की ओर से ही व्यक्ति अपमानित,प्रताड़ित या उपेक्षित महसूस करने लगता है तो सामाजिक प्रतिष्ठा की मर्यादा के बीच व्यक्ति निराशा, हताशा के सागर से निकलने के चक्कर मे मौत के महासागर में जा गिरता है । तो क्या एक "सैफ्टी वाल्व " के फेल हो जाने पर कोई दूसरा रास्ता नही बचता है ,क्यो नही ? इमेरजेंसी सैफ्टी वाल्व के रूप में परम पिता परमेश्वर हमेशा विद्यमान रहते है परंतु
उसकी प्रत्यक्ष उपस्थिति के अभाव में उसकी सत्ता के प्रति हमेशा संशय बना रहता है । यद्यपि उसकी अटल सत्ता पर असीम विश्वास से जरूर रास्ता निकालता है तो यक़ीन रखना ही चाहिए । साथ ही जीवन को बचाए रखने के लिए ज़रूरी है कि परिवार में हर स्तर पर संवाद बनाये रखा जावे,अपने परिजन के दुख,तनाव,चिंता,उद्विग्नता के समय उन्हें विश्वास दिलवाये ,कि आप हर कदम पर उनके साथ है । शायद आपने जब कोई शब्द बोला हो वो उनकी राह बदलने वाला निर्णायक क्षण साबित हो जाये ।
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